Monday, April 6, 2020

विशिष्ट एवं अनुपम शाहजहानी शैली था

वास्तुकला

प्रांगण की इमारतों का दृश्य
 
 
 
लाल किले में उच्चस्तर की कला एवं विभूषक कार्य दृश्य है। यहाँ की कलाकृतियाँ फारसी, यूरोपीय एवं भारतीय कला का संश्लेषण है, जिसका परिणाम विशिष्ट एवं अनुपम शाहजहानी शैली था। यह शैली रंग, अभिव्यंजना एवं रूप में उत्कृष्ट है। लालकिला दिल्ली की एक महत्वपूर्ण इमारत समूह है, जो भारतीय इतिहास एवं उसकी कलाओं को अपने में समेटे हुए हैं।






 इसका महत्व समय की सीमाओं से बढ़कर है। यह वास्तुकला सम्बंधी प्रतिभा एवं शक्ति का प्रतीक है। सन 1913में इसे राष्ट्रीय महत्व के स्मारक घोषित होने से पूर्वैसकी उत्तरकालीनता को संरक्षित एवं परिरक्षित करने हेतु प्रयास हुए थे। इसकी दीवारें, काफी सुचिक्कनता से तराशी गईं हैं। ये दीवारें दो मुख्य द्वारों पर खुली हैं ―  एवं । लाहौर दरवाज़े इसका मुख्य प्रवेशद्वार है।



इसके अन्दर एक लम्बा बाजार है, चट्टा चौक, जिसकी दीवारें दुकानों से कतारित हैं। इसके बाद एक बडा़ खुला स्थान है, जहाँ यह लम्बी उत्तर-दक्षिण सड़क को काटती है। यही सड़क पहले किले को सैनिक एवं नागरिक महलों के भागों में बांटती थी। इस सड़क का दक्षिणी छोर दिल्ली गेट पर है।









































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































लाल किले में उच्चस्तर की कला एवं विभूषक कार्य दृश्य है। यहाँ की कलाकृतियाँ फारसी, यूरोपीय एवं भारतीय कला का संश्लेषण है, जिसका परिणाम विशिष्ट एवं अनुपम शाहजहानी शैली था। यह शैली रंग, अभिव्यंजना एवं रूप में उत्कृष्ट है। लालकिला दिल्ली की एक महत्वपूर्ण इमारत समूह है, जो भारतीय इतिहास एवं उसकी कलाओं को अपने में समेटे हुए हैं।




 इसका महत्व समय की सीमाओं से बढ़कर है। यह वास्तुकला सम्बंधी प्रतिभा एवं शक्ति का प्रतीक है। सन 1913में इसे राष्ट्रीय महत्व के स्मारक घोषित होने से पूर्वैसकी उत्तरकालीनता को संरक्षित एवं परिरक्षित करने हेतु प्रयास हुए थे। इसकी दीवारें, काफी सुचिक्कनता से तराशी गईं हैं। ये दीवारें दो मुख्य द्वारों पर खुली हैं ―  एवं । लाहौर दरवाज़े इसका मुख्य प्रवेशद्वार है।

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